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रायपुर (CGVARTA)। छत्तीसगढ़ जहां संत पवन दीवान (pawan diwan) का नाम अपने आप में एक हस्ताक्षर है। अब यहां राज्य सरकार उनके नाम पर राज्य अलंकरण देगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 3 मार्च को इसकी घोषणा की।
सीएम ने इन्हें किया सम्मानित
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस अवसर पर साहित्य तथा कविता लेखन के क्षेत्र में विशिष्ठ योगदान के लिए छत्तीसगढ़ के कवि तथा साहित्यकारों को सम्मानित भी किया गया। इनमें पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे को विप्रकुल गौरव शिखर सम्मान-2023 से नवाजा गया। इसी तरह अरूण कुमार निगम को तथा काशीपुरी कुन्दन को संत कवि पवन दीवान (pawan diwan) स्मृति अस्मिता सम्मान से पुरस्कृत किया गया। प्रत्येक को पुरस्कार स्वरूप 21-21 हजार रूपए की राशि और शॉल एवं श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया गया। उन्होंने इस मौके पर विप्र योग पत्रिका तथा विप्र महाविद्यालय के मासिक बुलेटिन का विमोचन भी किया।
पवन दीवान का था गहरा लगाव : बघेल
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि संत कवि पवन दीवान (pawan diwan) का छत्तीसगढ़ की माटी से गहरा लगाव था। इनके लेखन में समाज के तत्कालीन दशा का बहुत ही सुन्दर और सहज चित्रण मिलता है, जो हर वर्ग और हर समाज के लोगों की भावनाओं से जुड़ी होती थी। यह वजह है कि बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री दीवान (pawan diwan) जन-जन में काफी लोकप्रिय थे। उन्होंने कहा कि संत कवि श्री दीवान को याद करना हमारे पुरखों द्वारा देखे गए छत्तीसगढ़ के स्वप्न को याद करने के जैसा है। उनकी कविता में बार-बार छत्तीसगढ़ के माटी का उल्लेख हुआ है। वे कवि हृदय बहुत भावुक, बहुत अच्छे कथावाचक और पूर्णतः निःस्वार्थ व निश्छल मन के व्यक्ति थे। उन्होंने समाज के मौजूदा स्थितियों को बड़ी ही सहजता से अपनी रचनाओं में पिरोया।
सरकार की योजनाएं पुरखों के सपने साकार कर रही
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ में वर्तमान सरकार की जितनी भी योजनाएं हैं, वे हमारे पुरखों के छत्तीसगढ़ के लिए देखे गए सपना को पूरा कर रही है। आज विकास के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ का डंका देश और दुनिया में बज रहा है। यहां लागू की गई योजनाओं को अन्य राज्यों के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना की जा रही है। उन्होंने अवगत कराया कि छत्तीसगढ़ में गरीब, मजदूर और व्यापारी तथा किसानों सहित सभी वर्ग के लोगों की स्थिति में काफी सुधार आया है। यहां धान बेचने वाले किसानों की संख्या और धान का उत्पादन पिछले वर्षों की तुलना में कई गुना बढ़ गया है।