
रायपुर (CGVARTA)। छत्तीसगढ़ सरकार और स्थानीय प्रशासन की कोशिशों से गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिला अब वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर अपनी खास जगह बना रहा है। हाल ही में यहां आयोजित दो दिवसीय नेचर हीलिंग कैंप में मलेशिया सहित देशभर के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिसने इस क्षेत्र के पर्यटन को नई ऊंचाई दी।
नेचर हीलिंग कैंप का आयोजन
बनमनई इको फाउंडेशन और जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में चार विदेशी मेहमान मलेशिया से आए थे। इनके साथ बिहार, बंगलौर, मध्यप्रदेश और अन्य राज्यों से फिल्म निर्माता, पत्रकार, पर्यावरणविद् और शोधार्थी भी शामिल हुए।
- मलेशियाई पर्यटक: विशेष अतिथि
- लक्ष्मणधारा और झोझा जलप्रपात की ट्रैकिंग
- स्थानीय संस्कृति और खानपान का अनुभव
- प्रकृति की गोद में अविस्मरणीय अनुभव
प्राकृतिक सौंदर्य और रोमांचक ट्रैकिंग
लक्ष्मणधारा जलप्रपात की उड़ती बूंदों में छनकर आती सूर्य किरणें एक खूबसूरत इंद्रधनुष बनाती हैं। पर्यटकों ने यहां ऑफ-रोड राइडिंग, पकौड़े और लेमन-जिंजर चाय का आनंद लिया।
झोझा जलप्रपात की खूबसूरती
350 फीट ऊंचाई से गिरता झोझा जलप्रपात दुर्गम होने के बावजूद बेहद आकर्षक है। जिला प्रशासन द्वारा बनाई गई सीढ़ियों ने इस स्थान तक पहुंचना आसान बना दिया है।
लमना होमस्टे में अतिथि सत्कार
- शाम को पर्यटक लमना होमस्टे पहुंचे, जहां ग्रामीण महिलाओं ने पारंपरिक तरीके से उनका स्वागत किया।
- गौरा-गौरी लोकनृत्य ने सभी को थिरकने पर मजबूर कर दिया।
- सामुदायिक पर्यटन मॉडल ने स्थानीय लोगों को आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से सशक्त बनाया।
प्रेम और सहयोग की भाषा
- दूसरे दिन मलेशियाई पर्यटक एलिस ने ग्रामीण महिलाओं के साथ नाश्ता तैयार किया।
- भाषा की बाधा नहीं, मुस्कान और सहयोग ने दूरी मिटा दी।
- ग्रामीण महिलाओं ने बिना गांव छोड़े विदेशी खानपान और संस्कृति को जाना।
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में पर्यटन की संभावनाएं
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के पर्यटन स्थल न केवल प्रकृति प्रेमियों को लुभाते हैं, बल्कि सांस्कृतिक आदान-प्रदान के नए अवसर भी खोलते हैं। यहां का इको टूरिज्म मॉडल आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाएगा।










