रायपुर (CGVARTA)। इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों में राजनीतिक दलों ने प्रत्याशियों की घोषणा शुरू कर दी है। इसी क्रम में भाजपा ने 195 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की है। इस सूची के अनुसार छत्तीसगढ़ की सभी 11 लोकसभा सीट में विजय बघेल (दुर्ग) और संतोष पांडे छोड़कर सभी प्रत्याशी नए हैं। प्रत्याशी भले नए हैं, लेकिन इस बात की गारंटी है कि सभी के सभी जीत के लिए ज्यादा आश्वस्त होंगे।
रायपुर, छत्तीसगढ़ की राजधानी बाद में बनी लेकिन इससे पहले भी राजनीति के बिसात पर रायपुर की धमक बनी रही है। देश में रायपुर लोक सभा क्षेत्र विद्याचरण शुक्ल, पुरुषोत्तम लाल कौशिक और रमेश बैस के कारण चर्चित रहा है। 1952 से लेकर 1971 तक रायपुर लोकसभा सीट कांग्रेस के कब्जे में रही, लेकिन आपातकाल के दौर से रायपुर का चरित्र जो बदला फिर देखे तो 1981 से 1989 के काल को छोड़ Den तो रायपुर लोकसभा भाजपा की हो के रह गई है।
1989- 1991और उसके बाद 1996 से रमेश बैस रायपुर के पर्याय हो गए थे। रमेश बैस के बाद सुनील सोनी भी भाजपा के ही चेहरे रहे।33 सैलून में 31 साल भाजपा के होने का मतलब तीसरी पीढ़ी के आगमन का साल होना मान लिया जाता है। 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए छत्तीसगढ़ के सभी 11 सीट के प्रत्याशी घोषित हो चुके हैं। रायपुर लोकसभा सीट से बृजमोहन अग्रवाल को प्रत्याशी बनाया गया है। 8 बार रायपुर दक्षिण विधानसभा चुनाव जीतने वाले बृजमोहन अग्रवाल का नाम संभावित प्रत्याशी के रूप में आ ही रहा था।अब मुहर भी लग गई है।
बृजमोहन अग्रवाल के अभ्युदय का साल भी देखें तो जैसे ही 1989 में रायपुर लोकसभा सीट भाजपा के रमेश बैस की झोली में गई थी , उसी के ठीक एक साल बाद यानि 1990 में बृजमोहन अग्रवाल रायपुर दक्षिण से विधायक निर्वाचित होकर भाजपा की जड़ें मजबूत करने में लग गये थे। उनके भगीरथ प्रयास का असर ये हुआ कि रायपुर शहर और ग्रामीण विधानसभा सीट पर भाजपा का एकाधिकार हो गया। 1990, 1993, 1998, 2003, 2008, 2013, 2018 और 2023 के विधानसभा चुनाव में बृजमोहन के जीत का परचम लहराता रहा। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को बुरी तरह पराजय मिली और कांग्रेस के अंधड़ में बड़े-बड़े दिग्गज धराशाई हो गए। तब भी बृजमोहन का दक्षिण सुरक्षित रहा। 2023 के विधानसभा चुनाव में सर्वाधिक 67,919 मतों से जीतने वाले बृजमोहन अग्रवाल के चलते ही भाजपा के अश्वमेघ घोड़े ने भाजपा सरकार बनाने के लिए अनेक विधानसभा चुनाव के नतीजों में सफलतापूर्वक योगदान दिया।
रायपुर लोकसभा सीट अंतर्गत 9 विधानसभा सीट रायपुर (पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, ग्रामीण) के अलावा आरंग, धरसीवां, अभनपुर के अलावा भाटापारा-बलौदाबाजार विधानसभा सीट आती है। 2023 के विधानसभा चुनाव परिणाम देखें तो भाटापारा छोड़ आठ विधानसभा सीट पर भाजपा के विधायक निर्वाचित हुए हैं।
विधानसभा चुनाव के नतीजों के अनुसार रायपुर लोकसभा सीट पर भाजपा की बढ़त 2 लाख 59 हजार मतों की है। भाजपा 2013 और 2018 के लोकसभा चुनाव में रमेश बैस और सुनील सोनी को 1.71 लाख और 3.48 लाख मतों के अंतर से जीती है। सुनील सोनी तो राज्य में कांग्रेस के शासनकाल में जीते थे।
अब प्रश्न उठता है कि राजधानी की लोकसभा सीट पर बृजमोहन अग्रवाल क्या देश में सर्वाधिक मतों से जीतने के लिए अग्रसर होंगे? भारत में अब तक हुए लोकसभा चुनाव में सर्वाधिक मतों से जीतने का रिकार्ड गुजरात राज्य के नवसारी लोकसभा सीट से भाजपा के सीआर पाटिल के नाम हैं। पाटिल ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 6 लाख 89 हजार 690 मतों से पराजित किया था। इस रिकार्ड को तोड़ने के लिए बृजमोहन अग्रवाल को पिछले लोकसभा चुनाव के जीत के अंतर में सवा तीन लाख मत एकत्र करना है।
वर्तमान लोकसभा चुनाव में चार फेक्टर काम करेंगे। पहला, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी, दूसरा महिला सशक्तिकरण, राम मंदिर निर्माण और चौथा स्वयं बृजमोहनअग्रवाल का व्यक्तित्व। अपने सरल, सहज और मिलनसारिता को लेकर। बृजमोहन अग्रवाल का आकर्षण आम जनता में बहुत है। उनसे मिलने में राज्य के किसी भी व्यक्ति को असहजता नहीं लगती। उनका यही व्यवहार उनके वोट की बढ़त को निश्चित रूप से उस आंकड़े तक ले जा सकता है, जहां पर देश का सर्वाधिक मतों से जीतने का रिकार्ड बनता है।
आम धारणा है कि मोदी की गारंटी के चलते भाजपा को राज्य में हुए विधानसभा चुनाव के कुल मिले वोट प्रतिशत ने 10 प्रतिशत का इजाफा होना ही है। रायपुर लोकसभा सीट में महिला सशक्तिकरण को देखे तो 10.38 लाख महिलाएं हैं। यदि इनमें से 70 फीसदी महिलाओं ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया, तो बृजमोहन अग्रवाल की सर्वाधिक मतों से देश में जीतने के लक्ष्य को कोई नहीं रोक पाएगा। बृजमोहन अग्रवाल अब तक सीधे रूप से छत्तीसगढ़ के लगभग 3 करोड़ लोगों की सेवा कर रहे थे, अब 140 करोड़ लोगों की सेवा का दायित्व उनको मिलने वाला है।
- लेखक – संजय दुबे, सेवानिवृत्त खाद्य अधिकारी