छत्तीसगढ़

दागी अफसरों के भरोसे शहर में शराब का अवैध बाजार गुलजार

रायपुर (CGVARTA)। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद से सरकार लगातार शराब के अवैध कारोबार को लेकर सख्त तेवर इख्तियार किये हुए है। इसी सिलसिले में रायपुर के दो आबकारी उपायुक्त का तबादला भी किया गया। वर्तमान में जिले में आबकारी उपायुक्त के पद पर पदस्थ प्रभारी उपायुक्त रामकृष्ण मिश्रा को भी सरकार ने अवैध कारोबार को रोकने यह जिम्मेदारी दी है, लेकिन मिश्रा सरकार के मनसूबे को नाकाम करते नजर आ रहे हैं। उन्होंने शहर में मुख्य अवैध कारोबार वाले स्थानों का प्रभार दागी अफसरों को दे दिया है। यह प्रभार किसके इशारों पर हुआ है। यह प्रभारी उपायुक्त ही जानें, लेकिन दागी अफसरों के भरोसे सरकार शहर में शराब के अवैध कारोबार को रोकने कितना भी सख्त रुख इख्तियार करे संभव नजर नहीं आता।

बताया जा रहा है कि सहायक जिला आबकारी अधिकारी अल्ताफ करीम खान को तत्कालीन रायपुर आबकारी उपायुक्त रहे विकास गोस्वामी ने इसी अवैध कारोबार पर अंकुश नहीं लगाने के आरोप में जिला कार्यालय पदस्थ किया था, लेकिन उपायुक्त के बदलते ही अल्ताफ करीम खान को फिर से उसी सर्किल का चार्ज दे दिया गया जहां से उन्हें हटाया गया था। इस बीच विभाग ने क्या जांच किया और क्या रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को दी गई कि अल्ताफ करीम खान को फिर से उसी मौदहापारा सर्किल का इंचार्ज नियुक्त कर दिया गया।

इसके अलावा पंडरी सर्किल के इंचार्ज कौशल सोनी और धरसींवा सर्किल इंचार्ज प्रकाश देशमुख का भी यही हाल है। बीते दिनों धरसींवा विधायक अनुज शर्मा ने क्षेत्र में अवैध शराब बिक्री की शिकायत कलेक्टर समेत सरकार से की थी। इसके बाद भी अवैध कारोबार का फालना फूलना प्रशासन की कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान उठा रहा है।

सूत्रों के मुताबिक मौदहापारा सर्किल का इंचार्ज बनने के लिए अल्ताफ करीम खान ने आला अफसरों को राजनीतिक धौंस प्रदर्शित किया। इस दबाव में प्रभारी उपायुक्त रामकृष्ण मिश्रा ने खान को यह नियुक्त दे दी। बताया यह ही जा रहा है कि प्रभारी उपायुक्त रामकृष्ण मिश्रा ने पदभार ग्रहण करने के बाद से अधिकारियों की फ़ाइल खंगाली ही नहीं।

सूत्रों के मुताबिक मौदहापारा, पंडरी और धरसींवा में पदस्थापना से लेकर अब तक प्रभारियों ने एक भी कार्रवाई नहीं की है, जिससे उनकी कर्तव्य निष्ठा पर भी सवाल उठ रहे हैं।

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