छत्तीसगढ़

जल संसाधन विभाग की बड़ी लापवाही, नहरों की हालत खस्ता कैसे होगी खेती

कोरिया |  जिले में अब धान के फसल की  कटाई शुरू हो चुकी हैं इसके बाद किसान अपनी खेतों में गेहूं फसल की उपज करने  की तैयारी में लग जाएगा लेकिन धान की फसल की तरह गेहूं की फसल भगवान के भरोसे नहीं किया जा सकता है गेहूं की फसल के लिए पर्याप्त सिंचाई के साधन की आवश्यकता पड़ती हैं । कोरिया जिले के बैकुठपुर क्षेत्र में सिंचाई के सुविधा बनाने के लिए दो बड़े बांध झुमका जलाशय और गेज  बांध  का निर्माण कराया गया था, जिससे निकलने वाली नहर से किसान गेहूं की फसल की उपज आसानी से कर लेता था परंतु जल संसाधन विभाग की वर्षों से  हो रही  लापरवाही के कारण  अब इन दोनों बांधों से निकलने वाली नहरों का अस्तित्व खत्म होने के कगार में है, कई जगह पर  नहर अदृश्य हो चुका तो कई जगहों पर नहर के ऊपर ही भवन का निर्माण देखने को मिल जायेगा, कई जगह के नहरों के बैंक में बड़े बड़े पेड़ तैयार हो चुके है तो कई जगह के नहरों की  सफाई सालों से नहीं हुई है ।।

आप को बता दे कि इन  नहरों के रख रखाव के लिए बड़ी रकम विभाग के द्वारा खर्च किया जाता हैं परंतु साल दर साल इन  नहरों का रकबा घटने से इस क्षेत्र में गेहूं की फसल की उपज के रकबे में भी  कमी देखने को मिल रही है । कई जगह के किसान  नहर से सिंचाई के भरोसे गेहूं की खेती करना लगभग छोड़ ही चुके है । बात करे झुमका जलाशय से निकलने वाली नहर की तो झुमका जलाशय से निकली  नहर मझगांव ग्राम से नरकेली ग्राम तक तो सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी पहुंच जाता है परंतु जब ये नहर थोड़ी से आगे  नरसिंहपुर ग्राम तक सिंचाई का पानी पहुंचाने में कुछ वर्षों से पूरी तरह नाकाम साबित हो रही । इसी तरह नरकेली ग्राम में भी कई जगह इस नहर का अस्तित्व खत्म हो चुका है नहर  के बैंक में पक्के भवन का निर्माण हो चुका है  जिसके कारण  झुमका जलाशय से निकलने वाली नहर के अस्तित्व धीरे धीरे खत्म होने के कगार पर हैं।

इस विषय में जब जल संसाधन विभाग के अनुविभागीय अधिकारी बी के त्रिपाठी से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि अभी बारिश के मौसम के कारण नहरों में कचरा हो गया है जिसकी सफाई कराई जा रही है , जबकि  नहरों में हो रहे अतिक्रमण के विषय में उन्होंने ने  बताया कि जिन जिन जगह पर जिन्होंने भी नहर में अतिक्रमण किया है उन्हें  नोटिस दिया जा चुका है ।

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